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एक छोटी सी बेहतरीन कहानी ( एक बार जरूर सुने ) - जिंदगी में दोस्ती का महत्त्व | moral hindi story

लक्ष्मण नहीं सोये 14 वर्ष तक, लेकिन क्यो?

सेठ धनीलाल, अपने पुत्र से इतना परेशान क्यो था? || Best hindi Story with motivation

क्या आपको पता है की संगत का असर हमारी जिंदगी में बहुत महत्त्व रखता है।  

अगर इस बात को मानते हो तो बहुत अछि बात है 

और अगर नहीं तो चलिए एक छोटे से मजेदार किस्से में हम जानते हैं की हमारे साथिओ और आस पास के माहौल का हमारे ऊपर क्या असर होता है। 

तो दोस्तों एक बार की बात है एक व्यक्ति जिसका नाम था सेठ धनीलाल वः बड़ा ही सीधा साधा और अपने बच्चो से बड़ा प्यार करने वाला इंसान था। 

सेठ धनीलाल की ३ संतान थी। 2 पुत्र और 1 पुत्री। 

आज कल सेठ धनीलाल के बड़े पुत्र का व्यबहार कुछ अलग सा था।  

जिस बजह से सेठ धनीलाल बड़ा असमंजस में रहता, की मेरा पुत्र पहले तो ठीक था लेकिन कुछ ही दिनों मे उसमे इतने बदलाब कैसे आने लगे।  

जिस बजह से वः अपने गांव से किसी दूसरे गांव की तरफ जा रहा था किसी बैद्य से सलाह लेने। वः पैदल ही था क्योकि उस समय गाड़ी वगेरा का तो प्रबंध नहीं होता था। 
 
तो सेठ धनीलाल ने थोड़ा सफर तय किया और थक गया तो उसने सोचा कि मैं किसी पेड़ की छाया में थोड़ा सा विश्राम कर लेता हूं  

तो वह एक अच्छी सी जगह देखकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया और अपने घर से लाया हुआ खाना निकाल कर खाने लगा। 

अभी उसने खाना शुरू किया ही था की उसने देखा की एक तोता पेड़ के ऊपर बैठा है और जब उस तोते ने सेठ धनीलाल को देखा तो वः जोर जोर से चिल्लाने लगा। 

पकड़ो पकड़ो इस व्यक्ति को पकड़ो इस को जाने मत देना।  

जल्दी पकड़ो कहीं हमारी हाथ से निकल ना जाए। 

तो उसकी यह बात सुनते ही कुछ व्यक्ति एकदम से झाड़ियों से बाहर निकले और सेठ धनीलाल को पकड़ने ही वाले थे की सेठ धनीलाल बड़ी तेजी से भागा।  

जाहिर सी बात है कि वह व्यक्ति सेठ धनीलाल को लूटने के मकसद से आये थे।   

सेठ धनीलाल की किस्मत अच्छी थी कि उनके हाथों से बच गया। 

तो थोड़ी दूर जाने पर उसने पीछे मूड कर देखा, कहि वो लोग पीछे तो नहीं आ रहे,
लेकिन वो बच गया था अब कोई पीछा नहीं कर रहा था। 

तो उसने तब जाके कही चेन सांस ली और थोड़ा सा विश्राम करने की सोची। 

जब वः विश्राम करने ही लगा तभी उसने एक और तोता पेड़ की डाल पर बैठा देखा 

अब उसे तोतो से डर लगने लग गया था तो सेठ धनीलाल थोड़ा घबराया। 

सेठ धनीलाल को देख कर वः तोता भी कुछ कहने लगा लेकिन वः पहले वाले से विपरीत था।   

सेठ धनीलाल को देख वः तोता कहने लगा की अहो भाग्य हमारे कि आप यहां पर पधारे  बताइए आपको शीतल जल चाहिए कि कुछ खाने को चाहिए। 

हम आपकी सेवा में हमेशा तत्पर रहेंगे। ऐसा कहकर तोता उड़ गया।     

तो ऐसा सुनकर सेठ धनीलाल फिर एक बार चौंका और उस तोते के पीछे पीछे चलने लगा  वह तोता एक आश्रम में जाकर रुका। 

सेठ धनीलाल ने आश्रम में एक संत महाराज को बैठे देखा। तो वः उनके पास गया और उनसे पूछने लगा कि महाराज मेरे साथ कुछ अजीब सा हुआ।   

थोड़ी देर पहले मुझे तोता मिला जिसने मुझे धमकाया डराया और अब एक ऐसा तोता मिला जो मेरा स्वागत कर रहा है ऐसा क्यों  

तो महाराज ने बताया कि यह 2 तोते भाई है एक बार वः तोता उड़ कर उन बुरे व्यक्तियों के पास चला गया तब से उन्होंने उसकी परवरिश की और उनके साथ रहने के कारण उस तोते पर उनकी सगती का रंग चढ़ गया।  

लेकिन दूसरी तरफ उसका भाई हमारे आश्रम में रहता है  तो इस वजह से उसका व्यवहार उसका व्यक्तित्व हमारे जैसा हो गया।   

यह बात सुनकर सेठ धनीलाल को सारा माजरा समझ आया। 

उस तोते और अपने बेटे का। तो अब सेठ धनीलाल को पता चल गया था की उसका बेटा ठीक कैसे होगा।  

तो मेरे दोस्त, हम जिस जगह पर रहते हैं उसका रंग हम पर कभी ना कभी तो जरूर चढ़ता है।  
जिंदगी में एक बात का ख्याल जरूर रखना अगर आपने कामयाबी पानी है   अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर करना है  

तो अपने इर्द-गिर्द के माहौल पर अधिक ध्यान देना होगा।

क्योकि ये एनवायरनमेंट ही आपके व्यक्तित्व की रचना में सहयोगी बनेगा।



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