क्या हम भी इस बंदर की तरह है ? || Best hindi story with motivation and life changing
क्या तुम जानते हो पुराने ज़माने में शिकारी बंदरों को कैसे पकड़ते थे, एक पिता ने अपने पुत्र से पूछा।
ना तो वह उनका पेड़ पर पीछा करते थे और नाही निचे से निशाना लगाकर तीर चलाते थे।
बल्कि वो जमीन पर एक छोटे मुँह वाला कांच का बर्तन रखते थे जिसमे बन्दर का पसंदीदा खाना होता था।
इसके बाद वह पीछे हट जाते और बंदर के आने का इंतज़ार करने के लिए छिप जाते।
जब बन्दर स्वादिष्ट खाना पड़े देखते तो खुद को रोक नहीं पाते और अपना हाथ उस बर्तन में डाल कर खाना बहार निकलने की कोशिश करने लगते।
परन्तु बर्तन का मुँह छोटा होने की वजह से वह बिना खाने को छोड़े अपना हाथ बहार नहीं निकाल सकते थे, और आसानी से मिलने वाला खाना कौन छोड़ता है।
तो लालच में आकर अपनी जान की परवाह किये बिना वो बन्दर खाना निकालने की जी जान से कोशिश करता।
अब, मौका पाकर शिकारी अपना जाल डालता और बन्दर को पकड़ लेता, इस तरह उनकी दावत का इंतज़ाम हो जाता और वह बेचारे जानवरों का शिकार करते।
बेटा, उस बन्दर की तरह मत बनना, पिता ने समझाया।
जीवन में समझदार व्यक्ति के रूप में विकसित होने के लिए,
आपको पता होना चाहिए की कब छोड़ना है, कब आगे बढ़ना है और जो कुछ भी आपको रोक रहा है उसे कब जाने देना है।
कभी कभी आपको भविष्य में कुछ बेहतर प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ छोड़ना पड़ता है, बहुत कुछ जाने देना होता है।
अपनी जिद्द को अपने पतन का कारण ना बनने दें।
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