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दुनिया में आई भयानक महामारी के लिए ओशो का संदेश।

How to control mind - चलिए आसान भाषा में जानते है।

Meditation and its Methods के बारे में जानते है।

आईये जानते है Benefit of Meditation के बारे में।

ध्यान एक ऐसी निर्विचार अवस्था है। जिससे हर कोई कभी न कभी तो जरूर गुजरा ही है। अलग अलग देशो में, अलग अलग धर्मो के लोगो में ध्यान की अपनी ही परिभाषा है।

ध्यान को करने के सभी धर्मो में अपने ही अलग अलग तरीके है। लेकिन इन सभी का सार एक ही है। निर्विचार अवस्था को प्राप्त करना। यह बहुत ही अद्भुत विधि है।

जिसे अपना कर आप अपने जीवन में बहुत सी हैरान करने वाली घटनाओ को देखोगे। योग के आठ हिस्से है। जिसे हम Asthang Yog के नाम से जानते है। जिसमे से ध्यान योग का आठवा हिस्सा है।

जिसे साध कर आपके सभी काम बिना किसी रुकाबट से हो जायेगे। योग की सारी क्रिया इसी आठवे अंग को हासिल कर लेने की है।

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What is meditation and its methods?

ध्यान कोई  योग आसन नहीं है। यह तो उन सबसे ऊपर की बात है। ध्यान न ही आँख बंद कर बैठ जाना है। न ही माला जपना है। ध्यान तो इन सभी क्रियाओ से ऊपर है। इन क्रियाओ का भान न होना ही ध्यान है।

जब आप मोन अवस्था में चले जाते हो। जब आपको अपने बाहर का कुछ भी नही पता होता। न ही अपने अंदर क्या चल रहा है। उसका पता हो। तब असली ध्यान घटता है। 

आपमे से बहुत से लोग ध्यान का अभ्यास तो करते ही होंगे। पर कुछ समय के बाद आप उस अभ्यास को बिच में ही छोड़ देते हो। क्योकि आपका मन बहुत चंचल है। आप में स्थिरता की कमी है।

आप चाहते हो की कल ही ध्यान शुरू किया। और एक हफ्ते के भीतर ही परिणाम सामने आने लग जाये। क्या कभी सोचा है। की इतने सालो की जिंदगी में, इतने व्यस्त माहोल में।

आपके मन, दिमाग को व्यस्त रहने की इतनी गहरी आदत हो गई है। की उसे शांत होने में कुछ समय तो लगेगा ही। ऐसा नहीं की आज शुरू किया और कल तक परिणाम आने शुरू हो गए। अगर आपने धैर्य रखा तो आपको ऐसी चीजे हासिल होगी। जो की आपने कभी सपने में भी नही सोची होगी।

सबसे पहले आपको अपने शरीर को उस ऊर्जा के पात्र तो बनाना होगा। तभी तो आपका शरीर उस ऊर्जा को सँभालने में सक्षम होगा। आपको कम से कम 40 दिन तक तो लगातार ध्यान करना ही है।

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जिससे आपके शरीर में व्यर्थ के विचार दूर होंगे। उन विचारो के जाने के बाद ही आपमे वो ऊर्जा का आगमन शुरू होगा। जिसके लिए इंसान बचपन से ही प्यासा है। वो ऊर्जा धीरे धीरे आपके शरीर में फैलनी शुरू होगी। आपकी सारी नकरात्मक ऊर्जा उस सकरात्मक ऊर्जा में परीवर्तित होना शुरू हो जायेगी। ध्यान करने से आपको बहुत से अनुभव होने लगेंगे।

जिसको आप अगर अपने इस भौतिक बुद्धि से समझने लगोगे। तो इसमें ही उलझ के रह जाओगे। जिससे आगे बढ़ने में दिकत का सामना करना पड सकता है। जब आप ध्यान करते है तो आपको अपना शरीर बहुत ही हल्का महसूस होता है। इतना हल्का की आपको लगता है। की में उड़ने लगा हूँ। 

कई बार तो आपके शरीर का भार इतना बड़ जाता है। की आपको लगने लग जाता है। अगर 10 आदमी भी आपको हिलाने की कोशिश करे तो आप नही हिलेगे। 

क्या अपने कभी सोचा ऐसा क्यो होता है Meditation for Beginners

तो चलिए जानते है। जब आप ध्यान करना शुरू करते हो। तो पहले आपके शरीर के चक्र सक्रिय नही होते। सिर्फ मूलाधार चक्र ही सक्रीय होता है। जब आप ध्यान की गहराई में जाने लगते है।

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तो आपकी कुण्डलिनी ऊर्जा जो की मूलाधार चक्र में होती है। धीरे धीरे ऊपर जाती है। तो आपमे नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म होने लगती है। जिसके चलते आपको अपना शरीर हल्का महसूस होता है। शुरुवाती दोर में आपको शरीर भारी इस लिए लगता है। क्योकि आपमे तब नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा बहुत होती है। ध्यान को सिद्ध करने के बाद साधक में एक अन्य महान शक्ति का उदय होता है। जिससे बह किसी भी वास्तु को अपने इशारे भर मात्र से हिला सकता है।

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वो उस बस्तु को अपने हाथ या आँखों के संकेत से हिला सकता है। ऐसा क्यो होता है। आईये जानते है। आपने अक्सर महसूस किया होगा की ध्यान की अवस्था में आपको अपने शरीर में झनझनाहट महसूस होती होगी। वो झनझनाहट आपके शरीर की बढ़ती ऊर्जा है।

जो ध्यान करने के बाद ही आपके शरीर में आती है। जब आपकी ऊर्जा की मात्रा जरुरत से अधिक हो जाती है। तो वो आपके शरीर से बाहर आने लगती है। जब आपका अपने आप पर नियंत्रण जादा होगा। मतलब की आप जितना अधिक गहरे ध्यान को उपलब्ध होंगे।

तो आप उस ऊर्जा को बड़ी आसानी से नियंत्रण कर सकते हो। वो ऊर्जा आपके इशारो पर काम करेगी। तो इस प्रकार आप किसी भी बस्तु को संकेत मात्र से ही हिला सकते हो। ध्यानी व्यक्ति के अंदर एक होर ताकत आ जाती है।

उसके शरीर में ऊर्जा की मात्रा इतनी जादा हो जाती है। की वो उसका प्रयोग कर। किसी के दुःख को कम कर सकता है। अपनी ऊर्जा को किसी होर व्यक्ति को प्रदान कर सकता है। किसी की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल सकता है।

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यह सब करना उसके लिए बहुत ही आसान हो जाता है। अगर कोई बीमारी एक आम इंसान को हो और बही बीमारी किसी ध्यानी को हो। तो ध्यानी व्यक्ति उस बीमारी से बहुत जल्दी मुक्त हो जाता है। यह सब खेल ऊर्जा का है।

किसी में ऊर्जा की मात्रा  बहुत जादा है। तो किसी में ऊर्जा की मात्रा बहुत कम है। शरीर की ऊर्जा के मुताबिक ब्यक्ति अपनी जिंदगी में कार्य करने में समर्थ होता है। ध्यान एक मात्र ऐसी प्रक्रिया है। जिससे आप अपने शरीर की ऊर्जा को बहुत ही कम समय में अधिक से अधिक प्राप्त कर सकते हो। अनंत ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए ध्यान तो एक मात्र शुरुवात है।

जब आप ध्यान में कुशल हो जाओगे। तो आप उस स्टेज के आगे की और बढ़ने लग जाओगे। जिसे हम समाधि कहते है। समाधि वो स्थिति है। जिसमे हम अपने आप में पूर्ण तोर पर स्थित होते है। हमारे शरीर में जो भी चमत्कारी शक्तिओ का जन्म होता है।

वो समाधी की स्थिति में ही होता है। समाधि को प्राप्त करना इतना भी आसान नही। इस स्टेज को प्राप्त करने में बहुत अधिक समय धैर्य रखना पड़ता है। जिससे आपका शरीर और मन उस विशाल शक्ति को ग्रहण करने में समर्थ हो जाता है।

ध्यान के पूर्ण होने पर हमारे शरीर में अनोखी चीजे होने लगेगी जिसे Power of Meditation भी कह सकते है

जिससे आप अनुमान लगा सकते हो की आप ध्यान में सफल हो रहे हो। जैसे की

>>> ध्यानी व्यक्ति का मन शांत होने लगेगा।

>>> अब उसकी अपने शरीर के प्रति सचेतना बढ़ने लग जायेगी।

>>> वो जो भी काम करेगा। उसे उसका पूरा भान होगा। और उसे अपने शरीर और अपनी आत्मा में अंतर दिखना स्पस्ट होने लगेगा।



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