इस किसान की एक गलती ने कर दिया सारा काम ख़राब !! Best hindi story with motivation
एक बार गुरु राम किशन और उनका शिष्य मारुती यात्रा पर निकले। चलते चलते वह एक पहाड़ी इलाके में पहुंचे,
जहाँ उन्हें बहुत बड़ी खाली पड़ी ज़मीन के एक छोर पे एक घर दिखाई दिया। शाम हो चली थी उन्होंने वहां शरण लेने का विचार किया और आगे बढे।
उस घर में एक दंपत्ति रहते थे, हरी सिंह और उसकी पत्नी राज रानी। उन्होंने अपने घर के बाहर एक छोटा सा बागीचा बना रखा था जहाँ वो सब्जियां लगाते थे
और उनके पास एक बकरी थी जिसका दूध बेचकर वह अपना गुजरा करते थे।
राम किशन और मारुती, हरी सिंह के घर पहुंचे और उनसे प्रार्थना की के उन्हें रात व्यतीत करने के लिए थोड़ी सी जगह दे दे।
हरी सिंह और राज रानी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने राम किशन और मारुती की बहुत आवभगत की।
उन्हें बढ़िया भोजन करवाया और सोने के लिए आरामदेह बिस्तर दिया। राम किशन ने उतसुक्ता से हरी सिंह से प्रश्न किया के तुम्हारा घर का खर्च कैसे चलता है
और ये सारी ज़मीन किसकी है । इस पर हरी सिंह ने बताया के वह सारी खाली पड़ी ज़मीन उसकी ही है और वह अपनी बकरी का दूध बेचकर अपना गुजारा करता है।
रात होने पर जब सभी सो गए, तब राम किशन ने मारुती को उठाया और हरी सिंह की बकरी लेकर वहां से चले गए। मारुती को बड़ी हैरानी हुई और उसने गुरु जी से पूछा के
उन्होंने हरी सिंह की आमदनी का एक मात्र साधन क्यों चुरा लिया।
राम किशन चुप रहे और अपनी यात्रा पर आगे चल दिए।
तो अब कुछ साल बाद, मारुती वापिस हरी सिंह से मिलने उनके घर आया। उसने देखा के जहाँ खली जमीन पड़ी थी वहां बहुत ही सुन्दर फूलों के वृक्ष लगे हुए हैं और बढ़िया बागवान बना हुआ है।
मारुती ने हरी सिंह से पूछा ये सब कैसे हुआ। हरी सिंह ने मारुती को बताया की जिस दिन आप लोग यहाँ से गए उसी दिन मेरी बकरी भी कहीं चली गई और मेरे पास कमाई का कोई साधन नहीं रहा।
मैने थोड़े पैसे बचा कर रखे थे तोह उन पैसों से मैने फलों के बीज लाकर खली पड़ी ज़मीन पे लगा दिए और देखते देखते ये सुन्दर बागीचा बन गया। अब में यह फल बेचकर अपना घर चलता हूँ।
इस बागवानी से मुझे बहुत फायदा हुआ और मैने अपना घर भी बहुत बड़ा बना लिया और अब मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं है।
अगर उस दिन मेरी बकरी गुम ना हुई होती तोः मुझे ये सब कभी नहीं मिलता। यह सब सुनकर मारुती को गुरु जी के किये हुए काम का कारण समझ आया और वह प्रसनचित्त वहां से चला गया।
मित्रो कहानी का भावार्थ है की हमे अपने आराम क्षेत्र से बहार निकल कर कार्य करने चाहिए उसी में हमारी उन्नति है।
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