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भगवान शिव की तीसरी आंख का रहस्य !! Best hindi story

!! हर हर महादेव !!

भगवान शिव, महादेव की इंसानों द्वारा बनाई हर तस्वीर में 

आपने उनकी तीसरी आंख को तो जरूर देखा ही होगा क्या आप इस रहस्य के बारे में जानते हैं की यह आंख कैसे प्रकट हुई और इसका क्या उद्देश्य है 

तो चलिए इस वीडियो के माध्यम से हम आपको ऐसे तीन कहानियों के बारे में बताएंगे जो भगवान महादेव की तीसरी आंख से संबंधित है। 

पहली कहानी

इसका उल्लेख्य मिलता है महाभारत के छठे खंड के अनुशासन पर्व में यहां भगवान शिव को तीसरी आंख कैसे मिली इसमें नारद जी इस रहस्य का वर्णन करते है। 

बह कहते हैं कि एक बार हिमालय में भगवान शिव एक सभा में विराजमान थे तभी वहां पर माता पार्वती आई और मौज मस्ती के मूड में उन्होंने भगवान शिव की

दोनों आंखों को अपने दोनों हाथों से बंद कर दिया। 

इसके बाद पूरे संसार में अंधेरा छा गया। सब जगह खलबली मच गई 

भगवान शिव की आंखें बंद होने के कारण सभी जीव जंतु मरने लगे 

तब उनको बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने माथे पर ज्योतिपुंज प्रकट किया। 

जिससे भगवान शिव की तीसरी आंख बनी 

बाद में माता पार्वती के पूछने पर कि भगवान ऐसा क्यों हुआ उन्होंने बताया कि मेरी आंखें जगत की पालनहार है मेरी एक आंख सूर्य तथा दूसरी आंख चंद्रमा है 

जो सृष्टि को अंधकार से दूर रखती है। 
 
दूसरी कहानी यह बताती है कि जब दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया तो माता सती इस अपमान को सहन न कर सकी और उन्होंने अपना देह त्याग दिया। 

यह देख भगवान शिव बहुत दुखी हुए और संसार से बैरागी हो गए जिस कारण वह दूर जाकर गहरे ध्यान में खो गए।  

हजारों लाखों साल तपस्या करने के बाद जब माता का जन्म हिमालय की पुत्री पार्वती के नाम से हुआ 

तो देवताओं के द्वारा कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए भेजा तो कामदेव ने भगवान शिव पर बाण चलाया तो वह वान उनके हृदय में लगा

और इस प्रकार उनका ध्यान भंग हुआ तो भगवान शिव ने गुस्से में आकर अपनी तीसरी आंख खोली। 

जिसकी ज्वाला से कामदेव की मृत्यु हो गई उसके बाद कामदेव की पत्नी ने भगवान शिव से माफी मांगी और अपने पति को जीवित करने के लिए कहा लेकिन 

उन्होंने कहा कि अब तो ऐसा हो नहीं सकता लेकिन द्वापर युग में कामदेव भगवान कृष्ण के पुत्र के रूप में फिर जन्म लेंगे तो इस प्रकार भगवान शिव की तीसरी आंख खुली

और एक मान्यता के अनुसार पुराणो में भगवान शंकर के माथे पर तीसरी आंख होने का उल्लेख है वह इस आंख से वह सब कुछ देख सकते हैं 

जो आम दोनों आँखों से नहीं देखा जा सकता महादेव की तीसरी आंख उस ऊर्जा का प्रतीक है जो ब्रह्मांड की फ्रीक्वेंसी से जुड़ सकती है 

जब उनकी तीसरी आंख खुलती है। तो तब उन्हें ब्रह्मांड के सभी रहस्य साफ-साफ नजर आते है। तब उनमे और ब्रह्माण्ड में कोई अंतर् नहीं रहता।

जिस बजह से वः त्रिकाल दर्शी बन जाते है। तब उन्हें भुत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान प्राप्त हो जाता है।  

तो दोस्त हम इंसानों में भी तीसरी आंख है अगर हम उसे समझें तो हम उसे जागृत कर सकते हैं अपनी जिंदगी में उतार सकते हैं

उसके बाद हम जिंदगी को उन गहराइयों तक देख सकते हैं 

जो कि हम अपनी दोनों आंखों से नहीं देख सकते तो आपको यह छोटे सा मज़ेदार किस्सा कैसे लगा?



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