Meditation in Hindi में सम्मोहन और ध्यान का सम्बन्ध जानेगे।
आज हम Meditation in Hindi में जानेंगे। क्या Meditation को Hypnosis के द्वारा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
सम्मोहन एक विज्ञान है। इसका दो तरफ़ा इस्तेमाल हो सकता है। इसका प्रयोग कोई बुराई के लिए भी कर सकता है और किसी के भले के लिए भी किया जा सकता है।
इसके जरिये आपके भीतर जो भ्रम है। उनको तोडा जा सकता है। सभी प्रकार के ध्यान की शुरुवात सम्मोहन की क्रिया से होती है। जिसमे आपके दिमाग को गहरी तन्द्रा में ले जाया जाता है। फिर उसे सुझाव दिया जाता है। सम्मोहन और ध्यान में एक ही अंतर है। वो है साक्षी भाव। साक्षी भाव का अर्थ है की अपनी सभी क्रियाओ के प्रति सचेत रहना।
आप क्या कर रहे हो। क्या सोच रहे हो। इसका पता आपको हो। वही है साक्षी भाव। जादातर हमारी जिंदगी मूर्छा में ही गुजर जाती है। हमे
इसका कुछ नही पता लगता कब हम जवान हुए और कब हम बूढे हो गए।
यह भी एक प्रकार का सम्मोहन है। एक गहरी तन्द्रा है। इसे तोड़ने के लिए ध्यान सबसे सहयोगी क्रिया है। जब तुम्हे कोई सम्मोहित करता है।
वो सिर्फ तुम्हे मूर्छित करता है। सम्मोहन मूर्छा के अतिरिक्त और कुछ नही। सम्मोहन से बचने के लिए आपको साक्षी भाव को कायम रखना होगा।
अगर सम्मोहन का प्रयोग बेहोशी लेने के लिए किया जाता है। तो इसके बिपरीत, आपकी बेहोशी तोड़ने के लिए इसका प्रयोग भी किया जा सकता है। हमारी अंदर की यात्रा हमारे मन से ही शुरू होती है।क्योकि हम अपने मन से ही सोचते है। यह यात्रा दो प्रकार की होती है। पहली यात्रा में आप मन के भीतर ही चक्र लगाने लगते हो।
अपने ही विचारो में उलझ के रह जाते हो। एक तरह के भूल भुलैया में गुम होने वाली स्थिति हो जाती है और दूसरी तरफ हो सकता है की आप यात्रा करते अपने मन के बहार निकल जाओ । दोनों हालत में आपको मन से ही गुजरना पड़ेगा। सम्मोहन का प्राथमिक चरण बही है। जो की ध्यान का। परंतु अंतिम चरण अलग अलग है। और दोनों का लक्ष्य भिन्न है। दोनों की प्रक्रिया में एक बुनियादी तत्व यह है की सम्मोहन चाहता है ।
तत्काल मोर्चा, और ध्यान होश चाहता है। इसलिए सम्मोहन का सारा सुझाव नींद से शुरू होगा। इसमें पहले आपको गहरी नींद में ले जायेगे। उसके बाद आपको सुझाव दिया जायेगा। अगर आप जागृत हो तो आप कभी भी सम्मोहित नही हो सकते। सम्मोहित सिर्फ बेहोश ब्यक्ति ही हो सकता है।
सम्मोहन से ब्यक्ति को समाधी से मिलती जुलती अवस्था में लाया जा सकता है। पर याद रहे की सम्मोहन समाधी नही। यह तो सिर्फ ध्यान की शुरुवात है।
तो अब आप समज़ह ही गए होंगे। की ध्यान और सम्मोहन के बीच का तालमेल क्या है।
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