Ramayan की मंथरा वास्तव में कौन थी।
हम सभी यह तो जानते है। Ramayan में मंथरा के कारण भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मणजी को वनवास जाना पड़ा।
दोस्तों, रामायण में हम केकयी की दासी मंथरा को हम सिर्फ दासी के रूप में ही जानते है परंतु बह सिर्फ दासी नही थी। आगे हम इसके बारे में जानेंगे की बह कोन थी।
तो इससे पहले हम यह जानेंगे की Ramayan में मंथरा को यह कार्य क्यो करना पड़ा।
दोस्तों सबसे पहले हमे यह जानना अत्यंत जरूरी है। की श्री राम ने राक्षसो का बध करने के लिए। इस संसार में जन्म लिया था। अगर वो अपने राज्य के कार्यो में ही व्यस्त रहते तो उनका कार्य करना असंभव था। तो इस प्रकार राम का वनवास में जाना बहुत ही जरूरी था। रामायण में वर्णन आता है की जब रावण का अत्याचार बहुत अधिक हो गया था।

तो उसके अत्याचार के कारण देवता भी डरने लगे थे। जिसके कारण देवता अपने प्राणों की रक्षा के लिए ब्रह्मा जी के पास गए। बहा भ्रमा जी ने बताया की रावण का वध करने के लिए भगवान् विष्णु के अवतार ने धरती पर श्री राम के नाम से जन्म लिया है और उनकी सहायता करने के लिए तुम सब भी रींछ और वानर रूप में पृथ्वी पर अवतार धारण करो और भगवान राम की सहायता करो।
उस समय देवताओं ने एक दुंदुभी नाम की गंधर्वी को बुलाया और कहा तुम पृथ्वी पर जन्म धारण करो और वहां पर तुम्हे कैकेयी की दासी बनना है और भगवान श्री राम की वन में जाने के लिए सहायता करनी है। उसके बाद वहीँ गंधर्वी पृथ्वी पर कुब्जा के रूप में जन्मी। उस समय उसका नाम मंथरा रखा गया और वहीँ राजा दशरथ की छोटी रानी कैकेयी की दासी बनी थी। उसने अपना कार्य सम्पन किया। जिसके लिए उसे देवताओ ने भेजा था।
जिस कारण उसने कैकयी को उकसाया की राम के राजा बनने के बाद उसके पुत्र का क्या होगा। तो राजा दशरथ ने कैकयी को एक बार बरदान दिया था। की तुम मुझसे कभी भी तीन वर मांग सकती हो। तो उसी बरदान का फायदा उठाते हुए केकयी ने अपने वरदान में राम के लिये 14 वर्ष का वनवास और अपने पुत्र भरत के लिए राज्य माँगा। तो राजा दशरथ को न चाहते हुए भी राम को वनवास भेजना पड़ा।
तो इस प्रकार अगर मंथरा न होती। तो राम को राक्षसो का सामना करने के लिए बहुत ही मुश्किलो का सामना करना पड सकता था। तो इस प्रकार भगवान श्री राम ने दानवो का संघार किया और एक बार फिर धरती को बोझ से हल्का कर दिया।
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