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जानिए!! कैसे दूधवाले ने अपने साथ हुए छल का बदला लिया ? || Best hindi story with motivation and moral

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जानिए!! कैसे दूधवाले ने अपने साथ हुए छल का बदला लिया ? || Best hindi story with motivation and moral

बहुत समय पहले, एक दूधवाला और एक मिठाई वाला, एक ही गाँव में रहते थे।

इन दोनों व्यक्तियों के बीच एक मैत्रीपूर्ण सन्धि थी,

जहाँ दूधवाला प्रतिदिन मिठाई वाले को एक किलोग्राम मक्खन बेचता था और बदले में मिठाई वाला दूधवाला को उतने ही वजन की बर्फी देता था ।

यह सिलसिला बहुत सालों से चला आ रहा था।

दूधवाला बहुत सीधा साधा और परोपकारी व्यक्ति था और वही मिठाई वाला कुछ चतुर और चालक।

एक सुबह, मिठाई वाला ने यह देखने के लिए

कि उसे मक्खन सही मात्रा मिला है या नहीं, वः मक्खन का वजन करने का फैसला करता है।

उसे आश्चर्य हुआ, जब उसे पता चला कि दूधवाला ने उसे उसकी कीमत से कम का मक्खन दिया था और उसे बहुत गुस्सा आया।

मक्खन की कम मात्रा को लेकर वो दूधवाले से लड़ने पहुंच गया और उस पर धोखाधड़ी का आरोप लगाने लगा ।

दूधवाला ने बड़ी विनम्रता से कहा - मित्र मैं तुम्हे उतना ही मक्खन देता हूँ जितना तय हुआ था, मैने कोई धोखा नहीं किया ।

इस अन्याय से क्रोधित होकर मिठाई वाला ने दूधवाला के खिलाफ मुकदमा कर दिया और उसको अदालत में ले गया।

सुनवाई के दौरान जज ने दूधवाला से पूछा कि उसने मक्खन का वजन तोलने के लिए किस यंत्र का इस्तेमाल किया है।

तो दूधवाले ने कहा : महाराज, मैं एक मामूली दूधवाला हूं और मेरे पास उचित पैमाना नहीं है।

मैं बस पुराने जमाने के पैमाने का उपयोग करता हूं,

अब जज ने पूछा की : फिर आप मक्खन का वजन कैसे करते हैं ?

इस पर दूधवाला ने उत्तर दिया:

“महाराज, में मिठाई वाले से बर्फी बहुत पहले से खरीदता रहा हूँ।

जब मिठाई वाला ने मुझसे मक्खन खरीदना शुरू किया था तब हमने तय किया था की में उससे

एक किलोग्राम बर्फी के बदले एक किलोग्राम मक्खन दूंगा ।

हर दिन जब वह मेरे लिए बर्फी लाता, तो मैं उसे अपने तराजू पर रखता और उसके वजन के बराबर मक्खन तोल कर मिठाई वाला को देता।

तो जज साहिब - यहाँ धोखा तो मेरे साथ हुआ है, मैने कभी बर्फी का वजन नहीं किया।

यदि मक्खन का वजन कम है तो इसका मतलब ये मुझे तयशुदा मात्रा में बर्फी नहीं दे रहा,

इस हिसाब से तो मुझे इसके ऊपर मुक़दमा करना चाहिए। अगर किसी को दोषी ठहराया जाना है, तो वह मिठाई वाला है।

यह सुनकर मिठाई वाला ने दूधवाले से माफ़ी मांगी और अपना मुक़दमा वापिस ले लिया।

 

कहानी का सार:

हमे अपने कर्मों का फल जरूर मिलता है! दूसरों के प्रति दयालु और निष्पक्ष रहें और तभी आप जीवन का भरपूर आनंद ले पाएंगे।



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