कुण्डलिनी शक्ति के जागरण में रुकाबट का क्या कारण है।
हम अपनी पूरी कुण्डलिनी शक्ति का उपयोग नही करते। हम जो कुछ भी करते है। आधा-आधा ही करते है। हमारे सारे जीवन की यही आदत है। हम जिसे प्रेम करते है। बह भी आधा ही करते है। जब भी हमारा ब्यक्तित्व पूरा होता है। तो प्राकृतिक की सारी शक्तिया हमारा साथ देती है। और जब ब्यक्तित्व टुकड़ो में बट जाता है।
जैसे की में ये करू या ना करू जैसे विचार आने लग जाते है तो। हमारी शक्तिया आधी हो जाती है। जैसे की कुण्डलिनी जागृत ना हो बिच में ही अटक जाये। उसका बस एक ही मतलब है। की आपके भीतर उसे जगाने का ख्याल है। परंतु उसके जगने का डर भी है। आप दोनों काम कर रहे है। ध्यान की तैयारी और ध्यान से डर भी लगता है।
आपके मन में ये ख्याल हमेशा होता है की आज नही कल मेरा ध्यान अवश्य लग जायेगा। हम हमेशा अपने ध्यान को कल पर टालते रहते है। कभी आपके मन में नही आया की आज का ही वो दिन है। जब में ध्यान की गहराई को पा लूंगा। आपके आधेपन की बजह से कुण्डलिनी जागरण में बाधा पड़ती है।
अपने अक्सर यह अनुभव किया होगा। की कुछ समय बाद आपका ध्यान रुक जाता है। इसका बस यही कारण है की आप अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर रहे। उस रुकावट को तोड़ने के लिए आपको अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल आना चाहिए। इसके इलाबा और कोई भी कारण नही। यह मत सोचना की आपके पिछले जन्म के कर्म बाधा डाल रहे है।
ऐसा कुछ भी नही। आपकी कुण्डलिनी एक क्षण में भी यात्रा पूरी कर सकती है। और कई साल भी लग सकते है। सब कुछ आपकी इच्छा मात्र पर Depend करता है। आप अपनी जितनी शक्ति का प्रयोग करेगे वो उतनी ही बढ़ती जाएगी। आप में अनंत शक्ति है।
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