हिन्दू धर्म की 7 प्रमुख परम्पराये और उनके पीछे का वैज्ञानिक सच।
हिन्दू परम्परा के पीछे पांच विज्ञानिक तर्क। इस Article में हम आपको बतायेगे की जिन परम्पराओ को हम सदियो में मानते आ रहे है। उनके पीछे के Scientific तर्क क्या है।
1. दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार।
2. माथे पर तिलक लगाना।
3. कान छिदवाने की परम्परा।
4. जमीन पर बैठ कर भोजन करना।
5. सीर पर चोटी बाँधना।
6. ब्रत रखना।
7. चरण स्पर्श करना।
>>> दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार
जब हम किसी से मिलते है। तो दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार करते है। इसका विज्ञानिक तर्क। हमारी उंगलियो में Acupressure Points से होते है। जब हम किसी व्यक्ति को नमस्कार करते है तो हमारे उन points पर दवाब पड़ता है और उस दवाब का सीधा असर हमारी आँख , कान और दिमाग पर पड़ता है। जिससे हमारा शरीर स्वस्थ्य रहता है। हाथ जोड़ने का दूसरा कारण यह है की हाथ मिलाने की बजाए नमस्कार करने से हमारे शरीर में दूसरे व्यक्ति के कीटाणु हमारे शरीर में आने का खतरा भी नही रहता।
>>> माथे पर तिलक लगाना
इसका Scientific कारण यह है। दोनो आँखों के बीच में एक नस जाती है। जब हम अंगुली या अंगूठे से उस जगह पर तिलक करते है। तब उस स्थान पर दवाव पड़ने की बजह से चेहरे की तवचा को रक्त Supply करने वाली मासपेशियां सक्रीय हो जाती है। इससे चेहरे की सभी कोशिकाओ में रक्त आसानी से पहुंच जाता है।
>>> कान छिदवाने की परम्परा
इसका Scientific तर्क यह है। की इससे समरण शक्ति में बृद्धि होती है। कानो से लेकर दिमाग तक जाने वाली नसो में रक्त संचार नियंत्रण में रहता है। शायद तभी पहले के समय में अध्यापक कमजोर विद्यार्थियो के कान पकड़ते होंगे।
>>> जमीन पर बैठ कर भोजन करना
इसका Scientific तर्क यह है की। जब हम भोजन करने के लिए पालती मरकर बैठते है। तो इससे हमारा दिमाग शांत होता है। दिमाग शांत होने पर हमारी पाँचन क्रिया में भी सुधार आता है। पालती मरकर बैठना एक प्रकार की योग क्रिया भी है। जो की ध्यान करते वक्त अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल करते है।
>>> सीर पर चोटी बाँधना
सीर पर चोटी बाँधना तो बहुत पुराने समय से चला आ रहा है। पंडितो के सिर पर चोटी होना अनिवार्य था। इसका विज्ञानिक अर्थ यह था की। जिस स्थान पर हम चोटी रखते है। उस स्थान पर हमारे दिमाग की सारी नसे आकर मिलती है। चोटी रखने से हमारा दिमाग, हमारे नियंत्रण में रहता है। हमारे मन की एकाग्रता भी बढ़ती है।
>>> ब्रत रखना
हिन्दू धर्म में कोई भी त्यौहार हो लोग हमेशा ब्रत रखते है। इसका Scientific कारण यह है की। ब्रत रखने से हमारी पाचन शक्ति बेहतर होती है। और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते है। एक शोध के अनुसार ब्रत करने बाले ब्यक्तिओ में हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग का खतरा कम रहता है।
>>> चरण स्पर्श करना
हमारे धर्म में हम सभी बच्चों को बड़ो के चरण स्पर्श करना सिखाते है। क्या आप जानते है। की चरण स्पर्श कियो करने चाहिए। Science के अनुसार। हमारे शरीर की ऊर्जा का प्रभाव सबसे जादा हाथो में या पेरो में होता है। इसे Cosmic energy का प्रवाह कहते हैं। जब कोई इंसान दूसरे इंसान के पेरो को स्पर्श करता है और दूसरा ब्यक्ति अपने हाथो से उसके सिर को स्पर्श करता है।
तो यह ऊर्जा का प्रवाह कम्पलीट हो जाता है। और जब ब्यक्ति आशीर्वाद देता है। जा कहे की सिर पर हाथ रखने वाले इंसान की ऊर्जा पेरो को स्पर्श करने वाले इंसान में चली जाती है। इस कारण से हम ऋषि मुनिओ के पैर स्पर्श करते है। ताकी उनकी सकरात्मक ऊर्जा हमारे अंदर आ जाए।
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