क्या मछुआरे ने अपने दिल की बात सुनकर सही किया ? || Best hindi Story with motivation
एक बार एक व्यापारी, ओमकार नाथ सुबह के समय समुद्र के किनारे बैठा था।
वह अपने व्यापार की परेशानियों से अपना ध्यान हटाने के लिए सुबह सुबह टहलने निकला था और सुबह के समय तट पर आने जाने वाले लोगों को देख रहा था।
अचानक ओमकार नाथ की नज़र एक मछुवारे पर पड़ी, वह अपनी नाव लेकर किनारे पर आ रहा था और उसकी नाव में बहुत सारी बड़ी बड़ी मछलियां थी।
उतसुक्तावश, ओमकार नाथ उस मछुवारे के पास गया और उससे पूछा के तुम इतनी जल्दी क्यों वापिस आ गए, तुमने बहुत अच्छी मछलियां पकड़ी हैं कुछ देर
और रुक जाते तो और ज्यादा मछली पकड़ सकते थे।
मुझे जितनी ज़रूरत थी मैंने उससे ज्यादा मछली पकड़ी है, ये इतनी हैं की इसमें से कुछ अपने पड़ोसियों को भी दे दूंगा।
ओमकार नाथ ने पूछा - अब तुम सारा दिन क्या करोगे? मतस्य बोला - अब मै घर जेक अपनी पत्नी और बच्चों के साथ समय बिताऊंगा,
दोपहर को खाना खाके कुछ देर आराम करूँगा
और फिर शाम को बाजार जाऊंगा अपने दोस्तों के साथ समय बिताऊंगा, रात को घर आकर अपने परिवार के साथ आराम से सोऊंगा।
ओमकार नाथ बोला - मेरे पास तुम्हारे लिए एक प्रस्ताव है , मैने बिज़नेस मैनेजमेंट मै पीएचडी की है। मै तुम्हे अपने काम को बढ़ाने के तरीके बताना चाहता हूँ,
क्या तुम्हारे पास कुछ समय है। मत्सय ने हाँ कर दी और ओमकार के साथ बैठ गया।
ओमकार नाथ ने मतस्य को कहा - तुम ज्यादा समय मछली पकड़ो, फिर वो मछली बाजार मे बेचकर बड़ी नाव खरीदो।
उसपे कुछ नौकर रखो ताकि वो और ज्यादा मछली पकड़े।
इस तरह धीरे धीरे तुम और नाव खरीद कर अपनी खुद की एक कंपनी बना लो , उसके बाद मछली को डब्बे मे पैक करने का काम भी तुम खुद करो।
मत्स्य ने पूछा उसके बाद? ओमकार ने जवाब दिया - उसके बाद तुम अलग अलग शहरों मे अपनी कंपनी की ब्रांचेज खोल सकते हो।
महीने मे एक दो बार सभी ब्रांचेज मे जाकर कामकाज देख सकते हो।
उसके बाद? - मत्स्य बोला। ओमकार नाथ बोला - जब तुम्हारे पास बहुत पैसा हो जाये तो तुम अपने गांव जाकर समंदर के
किनारे एक अच्छा सा घर बनना, सुबह मछली पकड़ना ,
अपने बच्चों और बीवी के साथ समय बिताना और शाम को अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती करना।
मत्स्य ने अचरज से ओमकार नाथ के तरफ देखा और बोला - मै रोज़ यही तो करता हूँ। सुबह मछली पकड़ता हूँ, अपने परिवार के साथ समय बिताता हूँ
और शाम को अपने दोस्तों के साथ घूमता हूँ ताश खेलता हूँ। मुझे इतना काम बढ़ाने की और समय बर्बाद करने की क्या जरुरत है।
दोस्तों इस कहानी से हमे ये प्रेरणा मिलती है की जो हमारे पास है हमे उसमे ही खुश रहना चाहिए। सादगी मे ही सुख और शांति है।
Leave A Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *