Contact Information

Theodore Lowe, Ap #867-859
Sit Rd, Azusa New York

We're Available 24/ 7. Call Now.

जाने Vipassana Meditation और इसके चौंका देने वाले लाभों के बारे में।

ॐ का जन्म कैसे हुआ।

जिंदगी में सफल बनने के लिए साक्षी भाव को जानना जरूरी है।

साक्षी भाव क्या है। 

शरीर के प्रति साक्षी होना बहुत ही आसान है। आपके भीतर की चेतना आपसे अलग है। जेसे की अगर आप अपना हाथ उठा रहे हो। तो भीतर एक चेतना है जो की देख रही है की आप अपना हाथ उठा रहे हो। जब आप रस्ते पर चल रहे हो तो भीतर आपके कोई देख रहा है। की आप चल रहे हो।

24 घंटे आपके भीतर एक बिंदु है। जो आप पर नजर रखे है। पर आपको उसका बोध नही। साक्षी भाव का अर्थ होता है की उस बिंदु पर नजर रखना। जेसे जैसे आप उस बिंदु के प्रति सजक होते रहोगे। वैसे वैसे आप देखेगे की आपकी Awareness का Level बहुत अच्छा होता जायेगा।

समय के साथ आप अपनी नींद के प्रति भी साक्षी रहने में सक्षम हो जाओगे। सोते समय भी आपको पूरा होश होगा। की आपके इर्द गिर्द क्या हो रहा है। आप के सोते समय भी अंदर कुछ जागा होता है। जेसे की आप कभी सोने से पहले अपना नाम लेकर कहना की मुझे सुबह 5 बजे उठा देना।

Awareness

आप चकित होंगे की ठीक 5 बजे आपकी आँख खुल जाएगी। एक और उद्धरण है। जेसे की आप कहि बहुत भीड़ वाली जगह पर पड़े हो। अगर कोई आपके बगल पड़े व्यक्ति का नाम लेकर पुकारे तो आप निशिंत होकर लेटे रहोगे। आपको कुछ भी एहसास नही होगा। अगर बह आपका नाम ले तो आप तुरंत उठ जाओगे। इससे पता लगता है की कोई आपके भीतर है जो जागा हुआ है।

आप इस बात से हैरान होंगे की अगर किसी ब्यक्ति को सम्मोहित करके मूर्छित कर दिया जाये। उसे कह दिया जाये की 15000 मिनट बाद तुम ऐसा ऐसा काम करना। फिर बाद में भी ब्यक्ति चेतन अवस्था में बापिस आ जायेगा। और ठीक 15000 मिनट बाद वो बही काम करेगा ।

जो उसे करने के लिए कहे गए थे। उस व्यक्ति के भीतर कोई जागा हुआ है। जिसे मिनट-मिनट का हिसाब है। आपके अंदर का बिंदु साक्षी बिंदु है। इसलिए जिसका साक्षी जग जाता है।

Awareness

बह रात को सोते हुए भी नही सोता। बह चेतन अवस्था में रहता है। महात्मा बुद्ध के संभन्ध में कहा गया है। की वो रात्रि जिस करवट में सोते थे। सारी रात उसी करवट में रहते थे। शरीर का जो अंग जहा होता वही रहता। सोते समय उनका कोई भी अंग नही हिलता था। जब उनके शिष्य आनंद ने उनके ना हिलने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा की में स्मृति पूर्वक सोता हु। होश से सोता हु।

इसलिए मेरे शरीर के अंग अपने आप नही हिल सकते। जब तक में ना चाहू मेरे अंग तब तक नही हिलेगे। अब तो हमें साक्षी भाव का कुछ नही पता। जब हमे क्रोध आता है। तब हम क्रोध कर लेते है। करने के बाद हमे क्रोध का ख्याल आता है। किसी की हत्या करने के बाद हमे होश आता है की।

ये मेने क्या कर दिया। ये सब तब होता है। जब हम मूर्छा में होते है। हमारे अंदर साक्षी भाव का जन्म नही होता। साक्षी भाव के बगैर हमारा जीवन जानवर के सामान है।

साक्षी भाव को जन्म देने के लिए। हमे अपने दिन की सारी क्रियाओ के प्रति सचेत रहना होगा। जैसे की हम खाना खा रहे है। निवाला मुख में जा रहा है। हम चल रहे है। हमारा दाहिना पैर आगे जा रहा है। बाद में बाये वाला पैर आगे जा रहा है। इस प्रकार अपनी क्रिया को सजगता से देखते हुए आप साक्षी भाव को धीरे धीरे पा लोगे।



SHARE:

एक गुब्बारे ने बदल दी 100 लोगो की जिंदगी, जानिए कैसे !! || Best hindi Story with motivation

समुंद्री डाकू आँखों पे पट्टी क्यो बांधते थे।

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *