हमारे शरीर के सात लेवल होते है। ये सात लेवल इस प्रकार है। जिस लेवल में हम जीते है। उसे चेतन कहते है। दूसरा लेवल जो की इस लेवल से निचे है। इसे अचेतन कहते है। अब तीसरा लेवल इससे भी निचे है। जिसे हम Collective Unconsciousकहते है। और उसके निचे वाले लेवल को हम Cosmic Unconscious कहते है।
अब थोडा ऊपर की और चलते है। जिस लेवल पर हम रहते है। उसके ऊपर एक लेवल है । जिसे हम Super Conscious कहते है। उसके ऊपर वाले लेवल को हम Collective Conditions कहते है। और अंत में उससे ऊपर वाले लेवल को हम Cosmic Conscious कहते है। जिस लेवल पर हम जीते है। उसके ऊपर 3 लेवल है। और उसके निचे तीन लेवल है। इसे मनुष्य का 7 मंजिला मकान भी कह सकते है। लेकिन हम में से जादातर लोग Conscious लेवल में ही मर जाते है।
आत्म ज्ञान का अर्थ होता है। की इन सात लेवल को अच्छे से समझ लेना। इस लेवल में ही रहने का अर्थ है मूर्छा। हम इस लेवल से इतने सम्मोहित हो गए है। की हम इधर-उधर देख भी नही पाते। जब तक हम इस सम्मोहन को तोड़ेगे नही। तब तक अपनी अनंत संभावनाओ को नही जान सकते। साधना का अर्थ होता है।
की इस मूर्छा को तोडना। बाकि बची 6 Level का हमे तब तक पता नही लगेगा। जब तक हम इस लेवल में सोए हुए है। अगर आप पीछे मुड़ कर अपनी जिंदगी को देखोगे। तो वो सपने के जेसे प्रतीत होगी। कब आपका बचपन गुजरा और कब आपकी जवानी गुजरी, आपको उसका कुछ नही पता। इस अवस्था का नाम प्रमाद है। अगर आपको इस प्रमाद की अवस्था से बाहर आना है।
तो आपको जानना होगा की आप मूर्छा में जी रहे है। आपको कभी भी अपनी जिंदगी में कुछ भी पका नही होता की आप जिंदगी में क्या करना चाहते हो। आप सोचते कुछ हो। करते कुछ हो। और बन कुछ होर जाते हो। यह सब तब होता है। जब आप मूर्छित अवस्था में जीते हो। अगर कोई भी इस लेवल में जाग जाये। तो वो अपने आप अगले लेवल में चला जायेगा। उसे कुछ भी करने की जरुरत नही। बस आपको इसी लेवल में जागने की जरुरत है। जब आप जागृत होंगे तब आपको पहले निचे वाले लेवलो से ही यात्रा करनी पड़ेगी।