क्या आप अपने मन को जानते हो।
अपने बहुत बार कहा होगा की मेरा मन नही लग रहा। आज मेरा मन दुखी है। या आज मेरा मन घूमने को कर रहा है । क्या आप जानते है। की यह मन क्या चीज है। यह कोई हमारे शरीर का हिस्सा है। या कोई काल्पनिक हिस्सा। तो चलिए जानते है। आज अपने मन के बारे में । आर्टिकल को अंत तक जरूर देखना। आपको बहुत सी इंटरेस्टिंग जानकारी मिलेगी। तो चलिए शुरू करते है।
मन मस्तिष्क की उस ताकत को कहते है। जिससे हम किसी चीज को याद रखते है। किसी चीज के प्रति निर्णय लेने के लिए सक्षम हो पाते है। की यह करना हमारे लिए सही है या गलत। हमारा मन ही हमारे सरे व्यक्तित्व को दर्शाता है। मन की समझने के लिए मनोविज्ञान नामक शाखा का जन्म हुआ। इसमें मनोविज्ञानी व्यक्ति के मानसिक व्यव्हार का अध्यन करते है। फ्रायड नाम के मनोविज्ञानी में हमारे मन को बनावट के अनुसार तीन हिस्सों में विभाजित किया है।
सचेतन,अचेतन, और अर्धचेतन मन। सचेतन मन का 10 % हिस्सा होता है। जो की आस पास के बातावरण के बारे में Aware रखने में मदद करता है। अचेतन मन , यह मन का 90 % हिस्सा होता है। इस मन के द्वारा किये कार्यो के बारे में हमे Awareness नही होती। जैसे की भूख लगना, साँस लेना आदि कार्य इस मन के द्वारा नियंत्रण होते है। हमारा इस मन पर कोई भी control नही होता। अर्धचेतन मन । यह मन चेतन और अचेतन के बिच वाला भाग होता है।
इसका प्रयोग हम अपनी इच्छा के अनुसार कर सकते है। जैसे की किसी घटना को आप थोडा सा प्रयास कर उसके कुछ भूले पहलुओ को याद कर सकते है। फ्रायड ने कार्य के अनुसार भी मन को तीन मुख्य भागों में वर्गीकृत किया है। इड , यह मन का वह भाग है, जिसमें मूल-प्रवृत्ति की इच्छाएं आक्रामकता, भोजन आदि संबंधी इच्छाएं रहती हैं, जो जल्दी ही संतुष्टि चाहती है।
ईगो , यह मन का सचेतन भाग है जो मूल-प्रवृत्ति की इच्छाओं को वास्तविकता के अनुसार नियंत्रित करता है। इसका प्रमुख कार्य मनुष्य को तनाव या चिंता से बचाना है। सुपर-ईगो , यह सामाजिक, नैतिक जरूरतों के अनुसार उत्पन्न होती है तथा हमारे अनुभव का हिस्सा बन जाती है।
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