अगर भारत की इस कमी को दूर कर दिया जाये तो कुछ बात ही अलग होगी।
चीन के सबसे अमीर व्यक्ति जैक मा कहते हैं -
यदि आप बंदर के सामने केले और बहुत सारे पैसे रखेंगे, तो बंदर केले उठाएगा, पैसे नहीं। क्योकि वह नहीं जानता है कि पैसों से बहुत सारे केले खरीदे जा सकते हैं।
ठीक उसी प्रकार आज यदि वास्तविकता में भारत की जनता को निजी हित, निजी स्वार्थ पूरे करने और राष्ट्रीय सुरक्षा में से किसी एक का विकल्प चयन करने का कहें तो वो निजी स्वार्थ ही चयन करेंगे। क्योंकि वो नहीं समझ पा रहे हैं कि राष्ट्र सुरक्षित नहीं रही तो फिर निजी हितों की गठरी बाँध के कहाँ ले जाओगे। आजकल तीन विरोधाभास ट्रेंड चल रहे हैं।
पहला - भारत एक गरीब देश है, इसलिए बुलेट ट्रेन नही चाहिए। परन्तु भारत इतना अमीर है कि लाखों रोहिंग्या को पाल सकता है।
दूसरा - मस्जिद की तरफ़ से देश के छप्पन बडे महँगे वकील और मंदिर की तरफ से अकेले सुब्रमण्यम स्वामी !!
तीसरा - देश मे GST का विरोध दिखता है किन्तु जनसंख्या बढ़ने का विरोध कभी देखा ?
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मजाक तो यह है कि २ बच्चे वाले टैक्स देते हैं और दस वाले सब्सिडी लेते हैं। आपको उपरोक्त बातें नापसंद हो सकती है परंतु विचार करने योग्य अवश्य हैं !! एक और तथ्य - भारत महान था.. वीरों की खान था। फ़िर भी मुगलों का गुलाम था.क्यों??
क्योंकि "एक हिंदू राजा निजी विरोध के कारण दूसरे हिंदू राजा से दूर खड़ा था और मुगलों का साथ देने पर अड़ा था" परिस्थिति आज भी वही है।
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