व्यक्ति की श्रेष्ठा के जन्म में एकांत की महत्वपूर्ण भूमिका है।
श्रेष्ठा का जन्म एकांत में ही होता है। मतलब की आप अपने जीवन में उच्चतम काम तभी कर पाओगे जब आप अपने एकांत की चरम सीमा को नही पाते। हर इंसान को आगे बढ़ने के लिए एकांत की अवस्था में जाना ही पड़ता है। जैसे की कोई जब साधू बनता है। मतलब की अपने अन्तर की अवस्था को जानने की कोशिश करता है।
तो उसे हमेशा एकांत में ही जाना पड़ता है। दुनिया के शोर गुल से दूर। कोई जंगलो का सहारा लेता है। तो कोई पर्वतो का सहारा लेता है। एक्चुअल में वो अपनी अंदर की शक्ति को पहचानने के लिए एकांत में जाता है। शुरू में आप तभी शांत हो सकते हो।
जब आपके आस पास का वातावरण शांत हो। अगर आपका पूरा व्यक्तित्व एक बार भी शांत हो गया तो। बाद में कोई फर्क नही पड़ता। चाहे आप जंगलो में रहो या किसी भीड़ भाड़ वाले इलाके में। अब आप शांत हो चुके हो। जब तक आप मोन में नही जाओगे।
अपने मन के विचारो को शांत नही करो गे तब तक आप अपनी शक्ति को नही पहचान सकोगे। जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए आपको एकांत यानि की अपने मोन को साधना पड़ेगा। एकांत में रहकर ही आपको समझ आएगा। की आपकी जिंदगी में आखिर कार चल क्या रहा है।
आपकी जिंदगी का मकसद क्या है। हम आपको जंगलो में जाने को नही कह रहे। बल्कि हफ्ते में एक दिन तो आप अपने लिए समय निकाले। घर के किसी बंद कमरे में बैठे। जहा आपको आत्म चिंतन करने का मोका मिले। असली मजा तो इसी बात का है। उसके बाद ही आप अपने व्यक्तित्व को जानने में सक्षम होगे।
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