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Sri krishna के बारे में बहुत ही मजेदार बाते।

हमारे मन की कोन सी चार अवस्थाएं होती है।

इन चार प्रयोगो से अपनी छठी इंद्री जागृत कर सकते है।

क्या है छठी इंद्री का विज्ञान। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के एक अध्ययन के अनुसार छठी इंद्रिय के कारण ही हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होता है।

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रेसिक के अनुसार छठी इंद्रिय जैसी कोई भावना तो है और यह सिर्फ एक अहसास नहीं है।

sixth sense meditation

वास्तव में होशो-हवास में आया विचार या भावना है, जिसे हम देखने के साथ ही महसूस भी कर सकते हैं और यह हमें घटित होने वाली बात से बचने के लिए प्रेरित करती है।

करीब एक-तिहाई लोगों की छठी इंद्रिय काफी सक्रिय होती है। छठी इंद्री को इन तकनीकों से जागृत किया जा सकता है।

1. नियमित प्राणायम करने से :- छठी इंद्री को जाग्रत करने के लिए प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना सबसे अच्छा तरीका है। हमारी भौहों के बीच छठी इंद्री होती है। सुषुम्ना नाड़ी के जाग्रत होने से ही छठी इंद्री Sixth Sence जाग्रत हो जाती है।

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यही छठी इंद्री है। आप अपनी छठी इंद्री को प्राणायम के माध्यम से छह माह में जाग्रत कर सकते हैं। लेकिन छह माह के लिए आपको दुनियादारी से अलग होना भी जरूरी है।

जब हमारी नाक के दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। इस सक्रियता से ही सिक्स्थ सेंस जाग्रत होता है।

sixth sense

2. नियमित ध्यान करने से :- दोनों भौहों की बीच वाली जगह पर नियमित ध्यान करते रहने से आज्ञाचक्र जाग्रत होने लगता है। जो हमारे सिक्स्थ सेंस को बढ़ाता है। प्रत्येक दिन करीब 40 मिनट का ध्यान कर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

ध्यान देने वाली वात यह है कि अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर आपको शुद्ध और निर्मल मौन में से इस क्रिया को करना है। जब आप इस स्थिति को प्राप्त कर लेते है तो अपने आप ही आपकी छठी इंद्री जाग्रत हो जाती है।

3. त्राटक से :- त्राटक क्रिया से भी इस छठी इंद्री को जाग्रत कर सकते हैं। जितनी देर तक आप बिना पलक झपकाए किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉल, मोमबत्ती या घी के दीपक की ज्योति पर देख सकें देखते रहिए।

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इसके बाद आंखें बंद कर लें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी और धीरे धीरे छठी इंद्री जाग्रत होने लगेगी।

4. नियमित योग निद्रा से :- कल्पना करें कि धरती माता ने आपके शरीर को गोद में उठाया हुआ है। अब मन को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे, सभी उंगलियों पर ले जाइए। कलाई, कोहनी, भुजा व कंधे पर ले जाइए।

इसी तरह अपने मन को बाएं हाथ पर ले जाएं। दाहिना पेट, पेट के अंदर की आंतें, जिगर, अग्नाशय दाएं व बाएं फेफड़े, हृदय व समस्त अंग शिथिल हो गए हैं। ऐसी कल्पना कीजिए और आखिर में अपने ध्यान को सांस पर ले आएं।



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