कुण्डलिनी जागने के बाद हमारे शरीर में कौन-कौन से परिवर्तन आते है।
कुण्डलिनी जागने से शरीर में बड़े रूपांतरण होते है। जब कोई नई ऊर्जा शरीर में जगेगी। तो वो पूरे ऊर्जा को पूरी की पूरी रूपांतरण जरूर करेगी। जैसे की हमारा शरीर कई तरह के ब्यवहार कर रहा होता है। जिसके बारे में हमे पता नही होता। जैसे की कोई डरपोक आदमी है।
उसका शरीर उन तत्वों को इकठा करने लगता है। जिससे उसका भय होर भी जादा बृद्धि करता है। और जैसे कोई कंजूस आदमी हो। उसका शरीर आस पास की कंजूसी को इकठा करने लगता है। तो हमारा शरीर चीत के अनुकूल बहुत कुछ इकठा करता रहता है। तो जब हमारा चीत बदलेगा।
तो हमारा पूरा का पूरा शरीर रूपांतरित करने लगेगा। तो जब आपकी कुण्डलिनी जागेगी। तब आपके शरीर में बहुत बदलाव आने शुरू हो जायेगे। जेसे की आपके शरीर का खून कम या अधिक हो सकता है। आपके शरीर का भार बढ़ सकता है। या कम हो सकता है।
इस बदलाहट का अनुपात उतना ही होगा जितना आपके शरीर को जरुरत है। उससे एक इंच ना कम ना जादा। इसलिए साधक को एक बिशेष प्रकार का भोजन करना चाहिए। और एक विशेष प्रकार की जीवन ब्यबस्था को जीना चाहिए।
जिससे बह संतुलित रह सके और उसके मार्ग में कोई बाधा ना आए। अन्यथा वो बहुत मुश्किल में पड़ सकता है। जब आपकी कुण्डलिनी जगेगी। तो आपके भीतर बहुत गर्मी पैदा होगी। क्योकि वो एक तरह की इलेक्ट्रिक फ़ोर्स है। कुछ जगह तो कुण्डलिनी को अग्नि का प्रतिक समझा गया है। इससे आपके भीतर बहुत कुछ जलेगा।
इससे आपके शरीर में बहुत रुखापण पैदा होने की सम्भावना है। अगर किसी क्रोधी आदमी की कुण्डलिनी जग जाये। तो वो बहुत मुश्किल में पड जायेगा। क्योकि वो पहले से ही उसका ब्यक्तित्व बहुत रुखा है। बही दूसरी तरफ अगर किसी प्रेमी आदमी की कुण्डलिनी जग जाये। तो उसे इतनी कठनाई का सामना नही करना पड़ेगा।
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