Gautam Buddha के दोबारा जन्म लेने का समय हो गया है।
सातवे शरीर के उपलब्धि के बाद अगला जन्म संभव नही। बह ब्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। पर Gautam Buddha ने कहा है। की में एक बार फिर जन्म लूगा। मैत्रे नाम के ब्यक्ति के शरीर में। अब ये दोनों बाते आपस में बिरोधी लगती है। की सातवे शरीर को उपलब्ध ब्यक्ति का दोबारा जन्म नही होता। पर महात्मा बुद्ध तो सातवे शरीर को उप्लब्ध कर चुके है।
उन्होंने कहा है की वे जरूर बापिस आयेगे। तो तब ये कैसे संभव होगा। इसे समझने के लिए। एक उद्धरण है। जब आपकी मृत्यु हो जाती है तो आपका भौतिक शरीर मर जाता है। लेकिन बाकि के 6 शरीर हमारे साथ रहते है। जब कोई अपने पांचवे शरीर को उपलब्ध होता है।
तो उसके पहले के तीन शरीर नष्ट हो जाते है। परंतु अगर व्यक्ति संकल्प करे । बह शरीर उसके पास ही रहेगे। और अगर बह ब्यक्ति इन्हें छोड़ना चाहे तो संकल्प सेे छोड सकता है। उसके बाद यह शरीर उसके भौतिक शरीर से निकल कर अंतरिक्ष में घूमते रहेगे। तो बुद्ध के ये शरीर अभी अंतरिक्ष में घूम रहे है।
अगर मैत्रे नाम का ब्यक्ति बुद्ध जैसी गहरी चेतना का ब्यक्ति होगा। तब ही बह तीन शरीर उसमे प्रवेश कर जायेगे। और उस ब्यक्ति में प्रवेश करते उस ब्यक्ति की हैसियत बेसी ही हो जायेगी। जैसे की बुद्ध की थी। क्योकि की महात्मा बुद्ध का सारा ब्यक्तित्व उन्ही शरीरो में था। जो की अब मैत्रे नाम के ब्यक्ति में प्रवेश हो गए। अब इस क्रिया को जानने के बाद हम किसी की समृति को किसी होर ब्यक्ति में transfer कर सकते है। तो महात्मा बुद्ध ने इस दिशा में प्रयोग किया है। की मारने के बाद अपने तीन शरीरो को बचाया जा सके।
जिसमे आपकी सारी यादे, आपका सारा ज्ञान संरक्षित होता है। उसे किसी होर के शरीर में डाला जा सकता है। बुद्ध उन तीन शरीरो को ऊर्जा दे गए है। ताकि वो ब्रह्माण्ड में घूमते रहे और समय भी बता गए थे। की कब मैत्रे नाम का वो ब्यक्ति आयेगा।
यह प्रयोग कृष्ण मूर्ति के बड़े भाई नित्य नन्द पर किये गये थे। की नित्य नन्द के तीन शरीर बुद्ध के तीन शरीरो के साथ Replace किये जाये। पर यह प्रयोग बहुत खतरनाक था। जिसकी बजह से उनकी मोत हो गयी। फिर उसके बाद यही कोशिस कृष्ण मूर्ति पर भी की गयी। लेकिन यह संभव नही हो सका। अब भी यह प्रयोग को पूरा करने की कोशिश चल रही है।
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